संत पेत्रुस की बाल्यावस्था के बारे में कुछ भी निष्चित रूप से कहना असंभव है। जो जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से हमें प्राप्त है उसके अनुसार संत पेत्रुस डेमियन का जन्म इटली के रावेन्ना में हुआ और कुछ ही समय बाद उनके माता-पिता गुजर गये। उनके बड़े भाई के संरक्षण में रावेन्ना में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हुई। इसके तत्पश्चात 10 साल के लिये उदारकला की पढ़ाई उन्होंने रावेन्ना, फयेना और परमा में पूरी की। करीब पाॅच साल तक उन्होंने रावेन्ना वाग्मिकता सिखाई। पेत्रुस डेमियन संत रोमुआल्ड की शिक्षा से काफी प्रभावित थे। संभवता पुरोहित बनने के बाद फोन्दे अवेल्लाना के संत रोमुआल्ड के शिष्यों द्वारा स्थापित मठ में उन्होंने प्रवेष किया। लगभग 1045 में डेमियन उस मठ के अध्यक्ष बन गये। उन्होंने प्रेरिताई निर्धनता पर बहुत जोर दिया जिसका प्रभाव पूरी पष्चिमी आध्यात्मिकता पर पड़ा। आगे चलकर डेमियन ने कई मठों की स्थापना की और कई मठों का सुधार भी किया। इन सुधारों से संत पापा लियो नवमें तथा सम्राट हेनरी तृतीय बहुत प्रभावित हुये। और उन्होंने अपने कार्यों में डेमियन का सहयोग प्राप्त किया। डेमियन ने सार्वत्रिक कलीसिया के सुधार के लिये बहुत बड़ा योगदान दिया। संत पापा स्टीफन नवमें उन्हें सन् 1057 में ओस्तिया के कार्डिनल-धर्माध्यक्ष नियुक्त किया। जल्दी ही डेमियन कार्डिनलों में एक प्रमुख व्यक्ति बन गये और अप्रैल 1059 के संत पापा के चुनाव की तैयारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभायी। कई कलीसियाई समस्याओं का समाधान ढुंढनें में कार्डिनल पेत्रुस डेमियन का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
कलीसिया के प्रति उनकी निष्ठा तथा गहरे व विस्तृत ज्ञान के कारण वह कई संत पापाओं के (स्टीफन नवमें, निकोलस द्वितीय, अलेक्जेन्डर द्वितीय) विश्वनीय सहयोगी रहें। 22 फरवरी 1072 को आठ दिन की बीमारी के पश्चात डेमियन का निधन हो गया। सन् 1828 में संत डेमियन को कलीसियाई विद्वान घोषित किया गया।