फरवरी 8

संत जेरोम एमिलियनी

जेरोम का जन्म सन् 1481 इटली के वेनीस में हुआ था। एंजिलो एमिलियानी और एलेयोनोरे माउरोचेनी उनके माता-पिता थे। जब जेरोम 15 साल के थे उनके पिता एंजिलो की मृत्यु हुई। तब जेरोम घर से भाग कर सेना में भर्ती हो गया। वे सेना के बडे अधिकारी बने। वे त्रेवीसो के किले के राज्यपाल बनाये गये और उसकी रक्षा करते समय वे बंदी बनाये गये। लेकिन वे माता मरियम की मध्यस्था से आजाद हुये और उन्होने त्रेवीसो की माता मरियम के तीर्थ स्थल जाकर उन जंजीरों को समर्पित किया जिनसे वे बांधे गये थे। वे त्रेवीसो के महापौर बने लेकिन कुछ समय बाद वे वेनीस वापस गये और पुरोहित बनने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। सन् 1518 में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। सन् 1528 की महामारी और अकाल के समय जगह-जगह जाकर जेरोम ने अनाथों तथा भूखों की सेवा में अपनी सम्पति खर्च कर दी। उन्होंने ने गरीबो तथा दरिद्रों के उत्थान के लिये अस्पतालों तथा अनाथालयों की स्थापना की। दो पुरोहितों - अलेस्सान्द्रो बेसूज़ियो तथा अगस्तीनो बारीसो ने उनके इन परोपकार के कार्यों के लिए बहुत सहायता प्रदान करते थे। उनके साथ मिलकर सन् 1532 में जेरोम ने व्यवस्थित पुरोहितों के धर्मसंघ की स्थापना की। उस धर्मसंघ का मुख्यालय सोमास्का में रखा गया। इस धर्मसंघ का मुख्य कार्य गरीबों एवं रोगियों की सेवा, अनाथों की देखभाल आदि थे। उनका यह भी नियम था कि उनका भोजन, मकान और कपडे गरीबी का प्रमाण दे। सन् 1540 में इस धर्मसंघ को संत पापा पौलुस तृतीय ने मान्यता प्रदान की। महामारी के समय पीडितों की सेवा करते समय जेरोम भी बीमार हो गये और 8 फरवरी 1537 को सोमास्का में उनका निधन हुआ। सन् 1747 में संत पिता बेनेडिक्ट चैहदवें ने जेरोम को धन्य घोषित किया तथा 1767 में संत पापा क्लेमेंट तेहरवें ने उन्हें संत घोषित किया।


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