जनवरी 21

संत ऐग्नस, कुँवारी और शहीद

आग्नेस का जन्म रोम के एक धनी परिवार में सम्राट दियोक्लेतुस के समय में हुआ था। वह बहुत ही सुन्दर लड़की थी। जब वह 12 साल की थी कई युवक उस से शादी करने की इच्छा रखते थे लेकिन आग्नेस ने मन बना लिया था कि वह येसु के लिए समर्पित है। राज्यपाल के बेटे प्रोकोप ने आग्नेस को अपनी पत्नि बनाना चाहता था। हालाँकि उन्होंने आग्नेस को बहुत से उपहार देने का वादा भी किया था, आग्नेस ने उसे इनकार किया और कहा, “मैं इस जगत के प्रभु के लिए समर्पित हूँ; वे सूरज और तारों से भी ज़्यादा शानदार हैं और उन्होंने वादा किया है कि वे मुझे नहीं छोड़ेंगे।“ इस पर क्रुद्ध हो कर उसने आग्नेस के ऊपर ख्रीस्तीय विश्वासी होने का आरोप लगाकर उसे अपने पिता राज्यपाल के सामने प्रस्तुत किया। राज्यपाल ने उन्हें ईशनिन्दा कर दण्ड से बचने का सलाह दिया और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रलोभन भी दिये। मगर आग्नेस अपने विश्वास में अटल बनी रही। कई लोगों ने उसकी सुन्दरता तथा निष्कलंकता से आकर्षित हो कर येसु को छोड़ कर अपने बचाने का सलाह दिया। पनन्तु आग्नेस उन सब बातों को टुकराया। जब उन्हें तलवार का सामना करना पडा तो उन्होंने खुशी के साथ स्वयं को अपने दुल्हे येसु के लिए समर्पित किया।

शहीद एवं कुँवारी रोम की संत ऐग्नस का जीवनकाल अनुमानतः सन 291 से 304 के बीच रहा है। संत ऐग्नस को माता कलीसिया ने शारीरिक शुद्धता, माली, शादी के बंधन बंधने जा रहे युवा-युवती तथा कुँवारियों की संरक्षिका संत घोषित किया है। संत ऐग्नस के नाम का स्मरण मिस्सा बलिदान के प्रथम यूखारिस्तीय प्रार्थना में किया जाता है।

चित्रकला में संत ऐग्नस का प्रतीक मेमना अथवा खजूर की पत्ती है। रोम में प्रत्येक वर्ष संत ऐग्नस के पर्वोत्सव के दिन वेदी के कठघरे के पास दो सफेद मेमने अर्पित किए जाते है। उन दोनों मेमनों को आशिष दी जाती है और ऊन उतारने के समय तक उनको पाला जाता है। उनके ऊन उतार कर उससे अंबरिकाएं (pallium) बुन कर संत पेत्रुस महागिरजे में संत पेत्रुस और संत पौलुस की समाधि पर स्थित महागिरजे की वेदी रखी जाती है। तब ये अंबरिकाएं महाधर्माध्यक्षों के पास भेज दी जाती है। यह उनको इस बात का स्मरण दिलाती है कि आप सबों को जो अधिकार प्राप्त है, यह सब संत पेत्रुस के पवित्र धर्मासन से ही प्राप्त हुए है।


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