एड्रियन का जन्म लगभग सन 635 में उत्तरी अफ्रीका के लीबिया साइरेनिका में हुआ। 640 के दशक के मध्य में, अरब आक्रमण से पहले उनका परिवार नेपल्स, इटली भाग गया। काफी युवा होने पर भी वे बेनेडिक्टिन भिक्षु बने तथा हिरिदानम, निसिडा के आइल और नेपल्स की खाड़ी के मठाधीश भी बने। वे सम्राट कॉन्स्टेंस द्वितीय से परिचित थे जिन्होंने बाद में उन्हें पोप संत विटालियन से मिलवाया। संत पापा विटालियन ने उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया।
दो बार कैंटरबरी, इंग्लैंड के महाधर्माध्यक्ष बनने की बात आयीं; परन्तु उन्होंने अपनी अयोग्यता का हवाला देते हुए मना कर दिया। जब उनकी जगह पर टार्सस के संत थियोडोर को भेजा गया, तो एड्रियन क्षेत्र में मठवासी आंदोलन की विशेष सहायता के साथ उनके सहायक के रूप में गए। सम्राट के लिए जासूसी के संदेह के कारण फ्रांस में उनको हिरासत में लिया गया। सन 669 में वे इंग्लैंड पहुंचे। वहाँ वे कैंटरबरी के ऑगस्टीन द्वारा स्थापित एक मठ – संत पेत्रुस के मठ – का मठाधीश बन गये।
एड्रियन मिशन कार्य में सफल थे। इसके अलावा वे भाषा, गणित, कविता, खगोल विज्ञान और बाइबल अध्ययन के एक महान शिक्षक थे। उनके नेतृत्व में कैंटरबरी स्कूल अंग्रेजी सीखने का केंद्र बन गया। कलीसिया के साथ स्थानीय रीति-रिवाजों को एकजुट करने और रोमन रीति-रिवाजों को बढ़ावा देने के लिए भी उन्होंने काम किया।
9 जनवरी 710 को कैंटरबरी, इंग्लैंड में उनकी मृत्यु हुयी और वहीं दफनाया गया। उनकी कब्र चमत्कारों का स्थल बन गयी। सन 1091 में कब्र खोलने पर उनका शरीर वैसा ही पाया गया।