जनवरी 04

संत एलिज़ाबेथ ऐन सेटोन

सन 1803 के अन्त में धनी और शिक्षित प्रोटेस्टेन्ट विश्वासी एलिज़ाबेथ ऐन सेटोन और उनके पति अमरीका से इटली के लिए रवाना हो गये। वहाँ क्षय रोग से एलिज़ाबेथ के पति की मृत्यु हो गयी। उसके बाद एक काथलिक परिवार ने उन्हें और उनकी बेटी को अपने यहाँ स्वागत किया। उस परिवार के सदस्यों के विश्वास, प्रेम तथा सेवाभाव से एलिज़ाबेथ बहुत प्रभावित हो गयी। एलिज़ाबेथ पर माता मरियम के प्रति उनकी भक्ति तथा कलीसिया में संत पापा की भूमिका का बड़ा प्रभाव पड़ा।

जून 1804 में जब एलिज़ाबेथ वापस आमरीका आयी तो वह एक गरीब विधवा बन गयी थी। लेकिन साथ में वे काथलिक विश्वासी भी बन गयी थी। वे यूखरिस्त से प्रेम करने लगी थी तथा माता मरियम को बहुत आदर देने लगी थी।

अगले साल उन्होंने काथलिक कलीसिया की सदस्यता स्वीकार की। उन्होंने अपना शेष जीवन काथलिक शिक्षा के लिए समर्पित किया। उन्होंने मैरीलैंड में धर्मबहनों की एक धर्मसमाज की स्थापना की जो लड़कियों को पढ़ाती थी, खासकर गरीब लड़कियों को जो अपनी शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकती थीं।

वे संयुक्त राज्य अमेरिका में काथलिक स्कूलों को संचालित करने वाली हजारों शिक्षण बहनों में से पहली थीं। उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में काथलिक शिक्षा की संस्थापिका के रूप में माना जाता है। अपने पति के अलावा, उन्होंने अपने जीवनकाल में अपने पांच बच्चों में से दो को भी खो दिया। उन्होंने सभी संस्थापकों की तरह, अपने धर्मसमाज को बनाने के लिए संघर्ष किया। लेकिन उनकी बुद्धि,आकर्षण और उत्साह ने उन्हें सफल बनाया। उनका धर्मसमाज फला-फूला और अभी भी फल-फूल रहा है।


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